परिचय
ECCE (प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा) का उद्देश्य बच्चों का समग्र विकास सुनिश्चित करना है— जिसमें शारीरिक, संज्ञानात्मक, सामाजिक-भावनात्मक और भाषा-साक्षरता सभी शामिल हैं। यह अवधारणा UNESCO द्वारा परिभाषित है और इसका लक्ष्य है 0–6 वर्ष तक के बच्चों के लिए एक मजबूत, समग्र आधार तैयार करना है।
बिहार में ECCE की रूपरेखा और उद्देश्य
Bihar ECCE (BECCE) कार्यक्रम निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है:
- समग्र विकास: बच्चों को एक सुरक्षित, संवेदनशील एवं प्रेरक वातावरण उपलब्ध कराना।
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा: खेल-आधारित, सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त शिक्षण सामग्री सुनिश्चित करना।
- शिक्षक प्रशिक्षण: आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और शिक्षकों को ECCE के लिए अतिआवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करना।
- समुदाय की भागीदारी: अभिभावकों और स्थानीय समुदायों को शुरुआती शिक्षा की महत्ता से अवगत कराना।
- स्वास्थ्य और पोषण: शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य-पोषण संबंधी पहल को जोड़ना
आंगनवाड़ी केंद्रों में ECCE के संचालन के प्रमुख पहलू
- पूर्व-स्कूल शिक्षा (3–6 वर्ष): आंगनवाड़ी केन्द्रों (AWCs) में बच्चों को पढ़ने-लिखने और खेल-क्रियाओं के माध्यम से पढ़ाई मिलती है, साथ ही हॉट कुक्ड मील भी प्रदान की जाती है।
- प्री-स्कूल एजुकेशन (PSE) किट: हर केंद्र में वार्षिक रूप से ₹5,000 (या छोटे AWCs के लिए ₹1,000) की व्यवस्था होती है, जिसके माध्यम से खेल-आधारित शिक्षण सामग्री, वर्कबुक (भाषा, कला, गणित), आदि उपलब्ध कराए जाते हैं।
- स्कूल ड्रेस (स्कूल पोशाक): 2012 से, प्रत्येक पूर्व-विद्यालय छात्र को ₹400 तक की सहायता दी जाती है ताकि उन्हें स्कूल ड्रेस मिल सके।
- चाइल्ड असेसमेंट कार्ड: राष्ट्रीय ECCE पाठ्यक्रम के अंतर्गत बच्चों की प्रगति का आकलन करने के लिए इन कार्डों का उपयोग किया जाता है।
- स्थानीय निगरानी समितिहर एक आंगनवाड़ी केंद्र पर “Anganwadi Vikas Samiti” नामक समिति बनाई जाती है (आमतौर पर 14 सदस्यीय), जो केंद्र के सुचारित संचालन में सहायता करती है।