परिचय
बिहार में Wheat Based Nutrition Programme (WBNP) के अंतर्गत गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली माताओं तथा छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों को विशेष रूप से पोषण सहायता दी जाती है। इस कार्यक्रम के तहत मुख्य सामग्री के रूप में गेहूँ, फोर्टिफाइड चावल और मिललेट्स शामिल किए जाते हैं, ताकि संतुलित आहार उपलब्ध हो सके। इसका प्रमुख लक्ष्य लाभार्थियों को पूरक पोषण प्रदान करना और माइक्रोन्यूट्रिएंट की कमी को दूर करना है। इस प्रक्रिया में खाद्य गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाता है और सभी खाद्य सामग्री FSSAI द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप होनी चाहिए। कार्यक्रम में यह भी सुनिश्चित किया गया है कि सप्ताह में कम-से-कम एक बार टेक होम राशन (THR) और हॉट कुक्ड मील (HCM) में मिललेट्स शामिल किए जाएँ, जिससे बच्चों और महिलाओं को विविध पोषण तत्व मिल सकें। इसके अलावा, वितरण और गुणवत्ता की निगरानी के लिए निरीक्षण दल लगातार नियंत्रण रखते हैं, जिससे कार्यक्रम की पारदर्शिता और प्रभावशीलता बनी रहे।
WBNP का उद्देश्य और स्वरूप
- पूरक पोषण में गेहूँ और मिलावट
- केंद्रीय सरकार खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय (MoF&PD) के माध्यम से गेहूँ, चावल और अन्य अनाजों को NFSA के तहत आंगनवाड़ियों में पूरक भोजन के लिए सब्सिडी पर उपलब्ध कराती है।
- यह गेहूँ FCI (Food Corporation of India) से आवंटित होता है और राज्य सरकारों को सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 के अंतर्गत दिया जाता है। इसमें फोर्टिफाइड चावल (कल्याणकारी पोषक तत्वों से युक्त) भी शामिल होता है।
- मिलेट्स का एकीकरण
- पोषण वृद्धि के लिए बाजरा, ज्वार, रागी जैसे मिललेट्स को हॉट कुक्ड मील (HCM) और टेक होम राशन (THR) में कम से कम सप्ताह में एक दिन शामिल करने की सलाह दी गई है। यह महिलाओं और बच्चों में माइक्रोन्यूट्रिएंट की कमी को दूर करने में सहायक है।
- गुणवत्ता नियंत्रण और निगरानी
- Food Safety Standards Authority of India (FSSAI) द्वारा निर्धारित पोषण एवं खाद्य गुणवत्ता मानकों के अनुरूप सामग्री हो, इसका परीक्षण सुनिश्चित करने के लिए राज्यों को जांच करानी होती है—विशेषकर सक्षम आंगनवाड़ी एवं पोषण 2.0 गाइडलाइंस में यह अनिवार्य है।
- उदाहरण स्वरूप, दिल्ली सरकार को अप्रैल से जून 2023 की पहली तिमाही में 2,383 मीट्रिक टन गेहूँ और उतनी ही मात्रा में फोर्टिफाइड चावल आवंटित किया गया, जिसके लिए आंगनवाड़ी केंद्रों और निर्मित खाद्य इकाइयों का निरीक्षण दलों द्वारा नियमित मानकीकरण किया गया।